बिहार में इंसान की जान की कीमत मात्र 5 रुपए !
- Adam Human Rights Wala
- 19 सित॰
- 3 मिनट पठन
अपडेट करने की तारीख: 11 अक्टू॰

बिहार के काको प्रखंड में हुई एक त्रासदी ने न सिर्फ एक व्यक्ति की जिंदगी समाप्त की, बल्कि समाज के नैतिक मूल्यों पर गहरा सवाल खड़ा कर दिया है। मोहम्मद मोहसिन, एक साधारण सब्ज़ीफ़रोश, हर दिन अपने गमछे पर सब्ज़ी और फल बेचकर अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहे थे। उनकी हत्या मात्र 5 रुपए के लिए कर दी गई। यह सिर्फ एक हत्या नहीं है, बल्कि यह हमारे समाज की गंभीर समस्याओं को उजागर करती है।
घटना का विवरण
एक गर्म शाम को, जब बाजार समिति के लोग बाज़ार की चुंगी तसील कर रहे थे, तब मोहसिन से एक ग्राहक ने 15 रुपए की मांग की। मोहसिन, जिनकी बिक्री उस दिन कम थी, ने सिर्फ 10 रुपए देने की सहमति जताई। इस पर दोनों में बहस बढ़ गई, जिसके परिणामस्वरूप मोहसिन की बेरहमी से पिटाई की गई। उनकी लाश बाजार में काफी देर तक पड़ी रही, जबकि बाजार में रौनक बनी रही। यह दर्शाता है कि हम किस प्रकार संवेदनहीनता से भरे हैं।
इंसानियत की कीमत
क्या हम सच में यह मानने लगे हैं कि एक इंसान की जान की कीमत 5 रुपए से भी कम है? एक और हालिया अध्ययन के अनुसार, भारत में प्रत्येक 30 मिनट में एक व्यक्ति हत्या का शिकार होता है। क्या यह सच में इस तेजी के साथ बढ़ते असामाजिक व्यवहार का संकेत है? यह सवाल सिर्फ मोहसिन के लिए नहीं, बल्कि उन सभी के लिए है जो समाज में जी रहे हैं।
समाज की स्थिति
यह घटना हमारे समाज के प्रति एक गंभीर चिंता का संकेत है। क्या हम इतने संवेदनहीन हो गए हैं कि एक इंसान की जान को इतनी छोटी सी रकम से तौलने लगे हैं? क्या हमारे मूल्यों की इतनी गिरावट हो गई है कि हम इंसानियत को भूल गए हैं? हमें सोचना होगा कि क्या हम नाइंसाफियों के खिलाफ खड़े होने का साहस रखते हैं। पिछले वर्ष, देश में 23% हत्या मामलों में राजनैतिक या आर्थिक विवाद शामिल थे, जो दर्शाता है कि समाज में हिंसा बढ़ती जा रही है।
प्रशासन की जिम्मेदारी
इस घटना के बाद, प्रशासन की जिम्मेदारी बढ़ जाती है। क्या वे इसके गंभीरता को समझेंगे? क्या वे ठोस कदम उठाने के लिए तैयार हैं? यह आवश्यक है कि प्रशासन इस मामले में उचित कार्रवाई करे ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों। एक एचआर रिपोर्ट के अनुसार, भारत में केवल 40% अपराधियों को सजा मिलती है, जो नियम और कानून की कमी को दर्शाता है।
समाज का दायित्व
हम सभी को यह समझना होगा कि जो आज मोहसिन के साथ हुआ, वह किसी भी मज़लूम के साथ हो सकता है। यदि हम इस नाइंसाफी के खिलाफ नहीं खड़े होते, तो हमें समाज में रहने का कोई अधिकार नहीं है। हमें एकजुट होकर इस तरह की घटनाओं के खिलाफ आवाज उठानी होगी। महात्मा गांधी ने कहा था कि "आपको वह परिवर्तन बनना है, जो आप दुनिया में देखना चाहते हैं।"
विचार करने का समय
आज की घटना हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि क्या हम इंसानियत को भूल चुके हैं। हमें एकजुट होकर इस तरह की घटनाओं के खिलाफ खड़ा होना चाहिए। अगर हम ऐसा नहीं करते, तो हम सभी समाज के लिए एक खतरा बन जाएंगे।
यह घटना हमें यह सिखाती है कि इंसानियत की कीमत केवल पैसों में नहीं मापी जा सकती। हमें अपने मूल्यों को फिर से स्थापित करना होगा और सुनिश्चित करना होगा कि हम एक ऐसे समाज में जी रहे हैं, जहाँ हर इंसान की जान की कीमत को समझा जाए।
“यदि आप ऐसे किसी मामले के प्रत्यक्षदर्शी हैं या जानकारी रखतें हैं, तो कृपया हमें [ईमेल/व्हाट्सएप] पर संपर्क करें — आपकी जानकारी गोपनीय रखी जाएगी।”














टिप्पणियां