जब नागरिक केवल डेटा बन जाए, तो लोकतंत्र लॉगइन स्क्रीन में बदल जाता है।
मुख्य चुनाव आयुक्त के हालिया बयान ने एक बार फिर बहस छेड़ दी है — “आधार पहचान का प्रमाण है, नागरिकता का नहीं।” यह बयान केवल प्रशासनिक सफाई नहीं, बल्कि उस गहरी सामाजिक-दार्शनिक चिंता का संकेत है जो आज के डिजिटल भारत के केंद्र में है।