G-MDT91J6FR2
top of page

क्या उत्तर प्रदेश जाति की राजनीति से मुक्त हो पाएगा?


जाति की राजनीति
क्या उत्तर प्रदेश जाति की राजनीति से मुक्त हो पाएगा?

हाईकोर्ट के आदेश और बदलते समीकरणों की पड़ताल


1. ऐतिहासिक संदर्भ: जाति और सत्ता का समीकरण


उत्तर प्रदेश की राजनीति को अगर समझना है, तो जाति को नज़रअंदाज़ करना असंभव है।


  • कांग्रेस युग (1950–80): तब तक ब्राह्मण और दलित कांग्रेस के साथ रहे, लेकिन धीरे-धीरे जातिगत असंतोष सतह पर आया।

  • मंडल राजनीति (1990s): वी.पी. सिंह की मंडल आयोग सिफ़ारिशों ने पिछड़ी जातियों को नई राजनीतिक शक्ति दी। मुलायम सिंह यादव और लालू प्रसाद यादव इसके प्रतीक बने।

  • कांशीराम और मायावती का उदय : “बहुजन” राजनीति ने दलितों को सीधी राजनीतिक पहचान दी।

  • भाजपा का सोशल इंजीनियरिंग मॉडल (2014 के बाद): भाजपा ने हिन्दुत्व के साथ-साथ गैर-यादव पिछड़ों और गैर-जाटव दलितों को जोड़कर जातीय समीकरण का नया संतुलन बनाया।


यानी यूपी में अब तक चुनावी जीत का मतलब जातीय गठजोड़ साधने की कला रहा है।


2. नया घटनाक्रम: जाति पर कानूनी रोक


हाल में इलाहाबाद हाईकोर्ट और राज्य सरकार के आदेश ने राजनीति की ज़मीन हिला दी है।


  • जाति आधारित रैलियों, महासम्मेलनों पर पूर्ण रोक।

  • पुलिस एफआईआर और सरकारी कागज़ात में जाति लिखने पर "प्रतिबंध"।

  • सार्वजनिक मंचों से जाति की पहचान का प्रदर्शन अब दंडनीय हो सकता है।


कानूनी तर्क : संविधान की मूल भावना है — सब नागरिक समान। बार-बार जाति पर ज़ोर देना भेदभाव और विभाजन को बढ़ावा देता है।


  • सामाजिक चुनौती : जाति सिर्फ कागज़ की पहचान नहीं, बल्कि रोज़मर्रा की सत्ता, संसाधन और सामाजिक रिश्तों में गहराई तक धंसी है।


3. सियासी असर: किसे फ़ायदा, किसे नुकसान?


भाजपा


  • सबका साथ–सबका विकास” का नारा जाति पर रोक के बाद और सशक्त दिख सकता है।

  • विपक्षी दल जातीय सम्मेलन न कर पाने की वजह से कमजोर पड़ेंगे।

  • भाजपा को हिंदुत्व + विकास + कल्याणकारी योजनाओं की राजनीति पर जोर देने का साफ़ रास्ता मिलेगा।


समाजवादी पार्टी (सपा)


  • अखिलेश यादव का पीडीए (पिछड़ा–दलित–अल्पसंख्यक) फॉर्मूला जातीय जुटान पर टिका है।

  • जातीय सम्मेलन न होने से संगठनात्मक मजबूती पर असर।

  • सपा को “समानता और न्याय” जैसे व्यापक मुद्दों पर अपनी भाषा बदलनी होगी।


बहुजन समाज पार्टी (बसपा)


  • मायावती की राजनीति ही “बहुजन बनाम सवर्ण” विमर्श से उठी।

  • जातीय सम्मेलन की रोक बसपा के दलित वोट बैंक को और बिखेर सकती है।

  • पार्टी पहले ही कमजोर है, अब जातीय लामबंदी की रणनीति लगभग बंद हो जाएगी।


छोटी जातीय पार्टियां (अपना दल, निषाद पार्टी, सुभासपा आदि)


  • इनका अस्तित्व ही जातीय पहचान पर टिका है।

  • इनके लिए यह आदेश अस्तित्व संकट बन सकता है।


4. विशेषज्ञों की राय


  • प्रो. आर.एन. त्रिपाठी (BHU) : “जातिगत सम्मेलन विकास में बाधा हैं। रोक से राजनीति नई दिशा ले सकती है।”

  • अनिल चमड़िया (वरिष्ठ पत्रकार) : “यह कदम आंबेडकर के विचारों के करीब है। लेकिन जाति सिर्फ सम्मेलनों से नहीं मिटेगी, इसके लिए संस्थागत बदलाव चाहिए।”

  • विपक्षी नेताओं का तर्क : “जाति छिपाने से भेदभाव खत्म नहीं होगा। उल्टा उत्पीड़न और संरक्षण की राजनीति गहरी हो जाएगी।”


5. बड़ा प्रश्न: जाति मिटेगी या राजनीति बदलेगी?


इस आदेश के बाद दो संभावनाएं साफ़ हैं —


1- सकारात्मक पक्ष : राजनीति जातीय जुटानों से ऊपर उठकर शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और विकास जैसे असली मुद्दों पर लौटे।

2- नकारात्मक पक्ष : सत्ता पक्ष “जाति से ऊपर” होने का नैतिक दावा करके विपक्ष की लामबंदी रोक दे, और जाति व्यवहारिक रूप में समाज में पहले जैसी बनी रहे।


6. 2027 की ओर नज़र


  • यूपी का अगला विधानसभा चुनाव इस फैसले की असली परीक्षा होगा।

  • क्या लोग सचमुच जाति से ऊपर उठकर वोट करेंगे?

  • या फिर जाति का खेल सिर्फ गुप्त समीकरणों में बदलेगा, मंचों और नारों से नहीं?


इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश ऐतिहासिक है। यह जातिवाद मिटाने की दिशा में एक साहसी कदम भी कहा जा सकता है। लेकिन हकीकत यह है कि जाति भारतीय समाज की रगों में गहरी बसी हुई है। कागज़ों पर रोक लगाना आसान है, पर समाज में बदलाव कठिन।


असली सवाल यह है कि — क्या यह आदेश सामाजिक न्याय की नई राह खोलेगा, या फिर जातीय राजनीति बस नए रूप में सामने आएगी? यही बहस आने वाले वर्षों में यूपी की राजनीति और लोकतंत्र दोनों का भविष्य तय करेगी।

टिप्पणियां

5 स्टार में से 0 रेटिंग दी गई।
अभी तक कोई रेटिंग नहीं

रेटिंग जोड़ें
RNI Logo
Nationalismnews
Nationalism News
Nationalism News

NATIONALISM NEWS : A feeling of love or pride for your own country; a feeling that your country is better than any other. Nationalism News is always ready to serve the nation. All of you also join Nationalism News and take a pledge to make India corruption and crime free.

Nationalism News is registered by the Office of the Registrar of Newspapers of India, Ministry of Information and Broadcasting, Government of India. - MAHBIL/2022/84726 (RNI)

The Website is designed by Expertiga

  • Facebook
  • LinkedIn
  • Instagram
  • Pinterest
  • Telegram
  • X
  • Youtube
  • Whatsapp
bottom of page